• देश भर में लागू हुआ नया वक्फ कानून, केंद्र ने जारी कर दिया नोटिफिकेशन

    केंद्र सरकार द्वारा जारी गजट अधिसूचना के बाद वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 आधिकारिक रूप से लागू हो गया

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    नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा जारी गजट अधिसूचना के बाद वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 मंगलवार को आधिकारिक रूप से लागू हो गया। संसद में पारित होने के दो दिन बाद ही रविवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अधिनियम को मंजूरी दे दी थी।

    भारत के राजपत्र में प्रकाशित आधिकारिक अधिसूचना में कहा गया, "वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 (2025 का 14) की धारा 1 की उपधारा (2) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, केंद्र सरकार 8 अप्रैल, 2025 को उक्त अधिनियम के प्रावधानों के लागू होने की तिथि निर्धारित करती है।"

    मूल वक्फ अधिनियम के प्रमुख प्रावधानों में संशोधन करने वाले इस कानून ने कई महत्वपूर्ण सुधार पेश किए हैं। इनमें वक्फ संस्थाओं से ट्रस्टों को अलग करना, संपत्ति प्रबंधन के लिए डिजिटल और तकनीकी उपकरणों की शुरुआत, बेहतर पारदर्शिता के लिए एक केंद्रीकृत ऑनलाइन पोर्टल का निर्माण, वक्फ संपत्ति को केवल मुस्लिम समुदाय के लोगों को समर्पित करने पर प्रतिबंध, समुदाय द्वारा ऐतिहासिक रूप से उपयोग की जाने वाली 'वक्फ द्वारा उपयोगकर्ता' संपत्तियों की सुरक्षा, पारिवारिक वक्फ में महिलाओं के अधिकारों को मान्यता, आदि शामिल है।

    यह विधेयक शुक्रवार तड़के 17 घंटे की मैराथन बहस के बाद राज्यसभा में पारित हो गया था। लोकसभा ने इस सप्ताह के शुरू में ही विधेयक को मंजूरी दे दी थी।

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस कानून के पारित होने को वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सुधार और आधुनिकीकरण के भारत के प्रयासों में एक 'महत्वपूर्ण क्षण' बताया था।

    सरकार के अनुसार, संशोधित अधिनियम का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रशासन और प्रबंधन में पारदर्शिता और जवाबदेही लाना और वक्फ बोर्डों के कामकाज में सभी मुस्लिम समुदायों का समान प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना है। हालांकि, इस कानून का कई राजनीतिक दलों ने कड़ा विरोध किया है। विपक्षी नेताओं ने सरकार पर ध्रुवीकरण के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए इस कानून का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है।

    इस अधिनियम के कार्यान्वयन के जवाब में इसकी संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए सर्वोच्च न्यायालय में कई जनहित याचिकाएं (पीआईएल) दायर की गई हैं। कानूनी दबाव की आशंका को देखते हुए केंद्र ने सर्वोच्च न्यायालय में कैविएट दाखिल कर अनुरोध किया है कि उसका पक्ष सुने बिना कोई आदेश पारित न किया जाए।

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